119वें मां नंदा सुनंदा महोत्सव का शुक्रवार को हुआ समापन। मन्दिर में ही पूजा अर्चना और परिक्रमा कर मां नैना देवी मंदिर प्रांगण नैनीझील में मां की मूर्तियों का विसर्जन किया
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नैनीताल – सरोवर नगरी में 11 सितंबर से चल रहें 119वें मां नंदा सुनंदा महोत्सव का शुक्रवार को समापन हो गया है। दशमी के अवसर पर नयना देवी मंदिर में सुबह आचार्य भगवती प्रसाद जोशी के नेतृत्व में मां नंदा सुनंदा की विधिवत पूजा अर्चना संपन्न हुई। जिसके बाद मां नंदा सुनंदा के डोले की मन्दिर में परिक्रमा के बाद मां के डोले को मंदिर प्रांगण में भक्तों के दर्शन के लिए रखा गया और मंदिर में मां के दर्शन के लिए पहुँचे भक्तों की कतार लग गई। पुलिस प्रशासन व मन्दिर समिति के लोगों द्वारा भक्तो को एक एक करके मां के दर्शन करवाकर रवाना किया गया। इस दौरान नयना देवी मंदिर जय माँ नन्दा सुनन्दा व मां अगले बरस तू जल्दी आना जयकारों गूंज उठा। मां के जयकारों से मन्दिर परिसर भक्तिमय हो गया।
आखरी दिन मां को विदाई देने के लिए भक्तों का जनसैलाब उमड़ा और भक्तो ने मां को भावभीनी विदाई दी। शाम 4 बजे मां नैना देवी मंदिर प्रांगण में ही नैनीझील में मां की मूर्तियों का विसर्जन किया गया।
एसएसपी प्रीति प्रियदर्शिनी ने बताया कि कोविड गाइडलाइन को मद्देनजर रखते हुए प्रशासन द्वारा जो निर्णय लिया गया था उसी को देखते हुए सक्षिप्त रूप में मेला सम्पन्न कराया गया है। डोले का नगर भ्रमण भी नहीं किया गया। मन्दिर में ही पूजा अर्चना और परिक्रमा कर मन्दिर के समीप ही डोले का विसर्जन किया गया
एसडीएम प्रतीक जैन ने बताया कि मेले के समापन के दौरान डोला उठते वक्त थोड़ी देर के लिए मन्दिर परिसर में भीड़ एकत्र हो गई थी लेकिन पुलिस प्रशासन ने मोर्चा सम्भालते हुए भक्तों को सामाजिक दूरी का पालन कराते हुए भक्तो को दर्शन करवाए गए।
बलवंत मेहता ने कहा कि ब्रह्मकमल आराध्य देवी नंदा सुनंदा का प्रिय पुष्प होने के कारण माता को ब्रह्मकमल अर्पित किया जाता है। जिससे उसका धार्मिक महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है। हिमालय में तीन प्रकार के कमल होते है नील कमल, नाग कमल और ब्रह्मकमल लेकिन ब्रह्मकमल मां का सबसे प्रिय पुष्प है।
इस दौरान मंदिर परिसर में व्यवस्था में महासचिव जगदीश बवाड़ी, मुकेश जोशी, विमल शाह,विमल चौधरी, भीम सिंह कार्की, किशन नेगी, गिरीश जोशी मक्खन, राजेंद्र बजेठा, डॉक्टर ललित तिवारी आदि लोग मौजूद रहें।