प्रकाश पांडे (उर्फ – पी पी) ने कहा कि धर्म की राह पर चलने और सही मार्ग को अपनाने पर क्यो हो रही उनके खिलाफ बयान बाजी।
प्रकाश पांडे (पीपी ) ने अल्मोड़ा की जेल अधीक्षक को एक पत्र लिखकर कई बिंदुओं पर अवगत कराया है यह पत्र में उन्होंने जेल अधीक्षक के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री,
मुख्य सचिव उत्तराखंड, जेल मुख्यालय उत्तराखंड , मानव अधिकार आयोग दिल्ली, पुलिस मुख्यालय, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, जिलाधिकारी अल्मोड़ा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अल्मोड़ा को भी जिसकी कॉपी प्रतिलिपि की गई है।
उन्होंने कहा है कि मेरे निष्कासन पर जो खबर आई है उससे मैं बहुत दुखी हूं मुझे समझ में नहीं आ रहा कि यह मेरे साथ क्या राजनीति हुई है।
मैं अपने गुरु ब्रह्मलीन श्री डण्डीनाथ, (भारत परिषद) से जुड़ा हूं.!
शास्त्रोक्त नियमों के अनुसार सामान्यतः संन्यास की दीक्षा सिर्फ एक ही गुरु से ली जा सकती हैं, मेरे गुरुदेव श्री डण्डीनाथ हैं,
जब दिनांक : 5 sep 2024 को दीक्षा के सामान्य नियमों का भी पालन नहीं हुआ, तो फिर दीक्षा की बात कहां से आई? संवैधानिक रूप से जब किसी अनुष्ठान की अनुमति ही संवैधानिक कानून नहीं देता तो यह दीक्षा कैसे संभव है?
मैंने अपनी साधना में आने वाली परेशानियों में मार्गदर्शन के हेतु, गुरुदेव श्री राजेन्द्र गिरी का मार्गदर्शन चाहा था जो मुझे मिला।
आज की परिस्थितियों में जो भी लोग इस विषय पर बयान बाजी कर रहे हैं उन्हें परिस्थितियों का और धार्मिक शास्त्रों का ज्ञान होना आवश्यक है। वैराग्य किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकता है मुझमें भी वैराग्य जागृत हुआ और मैं संन्यास की दीक्षा ली है उसका मैं पालन करता हूं मुझे धर्म का बहुत ज्ञान नहीं है अतः मैने संतो का परामर्श लिया था। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी और स्वामी हरि गिरी जी से कर जोड़ प्रार्थना है कि वे मुझे इस दुष्प्रचार से बचाएं।
इस मीडिया बाजी से हमारे धर्म, अखाड़े और हमारे धार्मिक नियमों का नुकसान हो रहा है।
मै आश्चर्य चकित हूं, की इतनी मीडिया रिपोर्ट्स कहां से आ रही है और एक संत से धार्मिक मुलाकात पर कौन उंगली उठवा रहा है?
कृपया एक धर्म की राह में आते सनातनी को बल प्रदान करें, बस मेरी यही प्रार्थना है।।
कोटि कोटि वंदन।