उत्तराखंड में बीजेपी के अपने ही बन गए हैं विपक्ष, जो काम कॉग्रेस को करना चाहिए वो कर रहे हैं पार्टी के सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत

एक समय था जब उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार रहते हुए भी पार्टी में उत्साह नहीं दिखता था..और आज जब पार्टी अस्थिरता किसे कहते हैं भूल चुकी है तो एक आदमी इसमें पलीता लगाते हुए दिख रहा है
*सीएम धामी की जीरो टॉलरेंस ने सब गुड़गोबर कर दिया*
केंद्रियों नेताओं के पास जाकर रोने का काम..कभी  नियमित डीजीपी की मांग..कभी कानून व्यवस्था ठीक नहीं है जी…हलांकि इन्हें कोई सुनता नहीं है
पर इनके कुछ पहाड़ से पत्रकार मित्र हैं जो इन्हें भरोसा दिलाते हैं कि आप लगे रहिए सफलता मिलेगी…सफलता नहीं पर  शिर्ष नेताओं से डांट जरुर मिलती है…दरअसल इनके जो पत्रकार मित्र हैं उनकी रावत जी की मदद से बड़ी दुकान  खुली थी और लूट खसोट जोरों पर था पर सीएम धामी की जीरो टॉलरेंस ने सब गुड़गोबर कर दिया
*आइए थोड़ा फ्लैश बैक में चलते हैं*
एक वो दौर था जब बीजेपी उत्तराखंड के लिए मुखिया ढूंढती थी तो छै महिने में दूसरा ढूंढना पड़ता था और आज का दौर कि पार्टी और प्रधानमंत्री दोनों उत्तराखंड को लेकर सुकून में हैं .तीन साल पहले जब पार्टी ने पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड की कमान सौंपी तो पार्टी भी खुद में भरोसा नहीं कर पाई थी कि अगले पांच साल किचकिच से मुक्ति मिल गई.. ये कहने में जरा भी हिचक नहीं होगा का सीएम धामी ने पार्टी का सिर उत्तराखंड में ऊंचा किया ..आज उत्तराखंड की देश भर में चर्चा हो रही…कई ऐसे काम हुए जिसने प्रदेश के सिर को देश ही नहीं विश्वभर में ऊचा कर दिया…खेल ,उधोग ,धंधे रोजगार मातृशक्ति को मजबूती देना..हर तरफ आपको कुछ ना कुछ अच्छा सुनने और देखने को मिल जाएगा..पक्ष तो छोड़िए विपक्ष के नेता भी सार्वजनिक रुप से तारीफ करने में कोई परहेज नहीं करते हैं
पर ये सब पार्टी के ही वरिष्ठ नेता को चुभता है…  अपनी ही सरकार कमिया ढूंढनें में लगे हैं..दरअसल ये उनकी गलती नहीं आदततन  ऐसा करते हैं…
*अगर बीजेपी की सरकार ना आती तो त्रिवेंद्र सिंह रावत जेल में होते*
बात त्रिवेंद्र सिंह रावत की हो रही है…त्रिवेंद्र सिंह रावत वहीं हैं जिनके दौर में भ्रष्टाचार चरम पर था..अस्तव्यस्त उत्तराखंड को देख पार्टी परेशान हो गई और एक झटके में इन्हें पद से हटा दिया वो तो शुक्र मनाएं की पार्टी ने जल्दबाजी में धामी के हाथों में बागडोर थमा दिया…और पांच महिनों में ही सीएम धामी ने वो कर दिखाया जिसकी केंद्रीय नेतृत्व को भी इल्म नहीं था वरा त्रिवेंद्र सिंह रावत आज जेल में होते..
*एहसान फरामोश हैं त्रिवेंद्र सिंह रावत*
लोकसभा चुनाव में  हरिद्वार सीट ही थी जिसकी चर्चा सबसे तेज थी कि पार्टी भले ही 400 पार कर जाए पर हरिद्वार नहीं जीत पाएगी और ऐसा इसलिए कहा जा रहा थै कि वहां से कैंडिडेट त्रिवेंद्र सिंह रावत थे पर सीएम धामी के दो साल के मेहनत ने त्रिवेंद्र सिंह को सांसद बना दिया..जनता ने वोट इस लिए किया कि दो सालों में धामी ने अपनी मेहनत से पार्टी की छवि सुधारी थी
*आज त्रिवेंद्र सिंह रावत चुंकि खाली है तो खाली दिमाग खुराफात का ..तो खुराफात में लगे हैं*…
त्रिवेंद्र रावत कहते हैं..मैं अब संसद में हूं। मुझे मुख्यमंत्री नहीं बनना है। मैं तो दिल्ली में हूं। सागर में चला गया हूं।
लेकिन सागर में जाकर भी त्रिवेद्र रावत गड्डे के कीचड़ की तरह पार्टी को सड़ाने में लगे हुए हैं
कभी संसद में राज्य के खनन अधिकारियों को कोसते हैं फिर जब डांट पड़ती है तो माफी मांगते हैं
पार्टी में एक दो ऐसे खुराफात होते है जो अपनी करनी से समय समय पर पार्टी की मिट्टी पलीद करते रहते हैं..
रावत के बयान से राज्य भर के दलित समुदाय के लोग आक्रोशित हो गए थे ..क्यों कि सांसद जी ने एक अधिकारी को कुत्ता कह दिया
इनके लालच और द्वेष की लंबी फेहरिश्त है
मेयर चुनाव में देहरदून के मेयर को हराने का भरसक प्रयास
केंद्रियों नेताओं के पास जाकर रोने का काम..कभी  नियमित डीजीपी की मांग..कभी कानून व्यवस्था ठीक नहीं है जी…हलांकि इन्हें कोई सुनता नहीं है
पर इनके कुछ पहाड़ से पत्रकार मित्र हैं जो इन्हें भरोसा दिलाते हैं कि आप लगे रहिए सफलता मिलेगी…सफलता नहीं पर  शिर्ष नेताओं से डांट जरुर मिलती है…दरअसल इनके जो पत्रकार मित्र हैं उनकी रावत जी की मदद से बड़ी दुकान  खुली थी और लूट खसोट जोरों पर था पर सीएम धामी की जीरो टॉलरेंस ने सब गुड़गोबर कर दिया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed