प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत@2047 से जुड़े आइडियाज पोर्टल को किया लॉंच, भारत (इंडिया) और “आइडिया” यानी “विचार” की शुरूआत “आई” यानी ‘मैं’ से ही होती है, विकास के विचार भी स्वयं के ‘मैं’ से शुरू होते है -पीएम
देहरादून – राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित विकसित भारत@2047ः वाईस ऑफ यूथ कार्यक्रम में राजभवन देहरादून से मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के साथ प्रतिभाग किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत@2047 से जुड़े आइडियाज पोर्टल का लॉंच किया।
अपने वर्चुअल संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के जीवन में इतिहास एक मौका देता है जब राष्ट्र अपनी विकास यात्रा में तेजी से प्रगति कर सकता है।
भारत में ‘अभी अमृत काल चल रहा है’ और ‘यह भारत के इतिहास का वह कालखंड है जब देश एक लंबी छलांग लगाने जा रहा है’। उन्होंने आस-पास के कई देशों का उदाहरण दिया जिन्होंने एक निर्धारित समय सीमा में इतनी लंबी छलांग लगाई कि विकसित राष्ट्र बन गए।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लिए यही सही समय है। उन्होंने कहा कि इस अमृत काल के प्रत्येक क्षण का पूरा उपयोग किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे भारत (इंडिया) की शुरूआत “आई” यानी ‘मैं’ से होती है वैसे ही “आइडिया” यानी “विचार” की शुरूआत भी “आई” यानी ‘मैं’ से होती है। इसी तरह विकास के विचार भी स्वयं के ‘मैं’ से शुरू होते है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्चुअल संबोधन के बाद राजभवन में उपस्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति, शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री जी पूरे विश्वास के साथ 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने की बात करते हैं और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समस्त देशवासियों को साथ लेकर मेहनत कर रहे हैं, मुझे लगता है कि हम इस लक्ष्य को 2047 से पहले ही प्राप्त कर लेंगे।
राज्यपाल ने कहा कि समर्थ युवाओं का निर्माण सशक्त राष्ट्र के निर्माण की सबसे बड़ी गारंटी होती है, इसलिए मैं शिक्षकों से भी कहना चाहता हूँ कि वे बच्चों को स्वच्छंद वातावरण दें, उनके भीतर आत्मविश्वास पैदा करें, ताकि वह हमेशा कुछ नया सीखने और करने का साहस कर सकें। आज देश जैसे-जैसे विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है भारत की पहचान और परंपराओं में भी दुनिया की दिलचस्पी बढ़ रही है इसलिए हमें योग, आयुर्वेद, कला संस्कृति से भी अपनी नई पीढ़ी को परिचित करवाना होगा, ताकि वे संस्कार युक्त शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्र के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व सरकार के द्वारा देश को विकसित बनाने के भाव का बीजारोपण हुआ है, और आप सब जानते हैं जो व्यक्ति पेड़ लगाता है, वो उसका फल नहीं खाता, बल्कि उसकी आने वाली पीढ़ी उन फलों का स्वाद चखती है, ये कार्य भी कुछ ऐसा ही है, आने वाले समय में जब देश वर्ष 2047 में प्रवेश करेगा तो आप सब अपनी मध्यवस्था में होंगे, और आज जिस बीज का रोपण हुआ है, उस बीज को विशालकाय वृक्ष के रूप में देखेंगे, उसकी छाँव में जीवन गुजर बसर कर रहे होंगे, इसलिए इस यात्रा में आपकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। देश की आप से भी बड़ी अपेक्षाएं हैं आप अपने अपने क्षेत्र में अभिनव पहल करते हुए आजादी के 100 वर्ष के उत्सव को उत्साह पूर्वक मनाने के लिए विकसित भारत संकल्प के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के लिए संकल्प लें।
The 'Viksit Bharat @ 2047: Voice of Youth' workshop is a wonderful platform for the Yuva Shakti to actively engage and contribute in the journey towards a developed India. https://t.co/JjrlHligBJ
प्रधानमंत्री के वर्चुअल संबोधन के पश्चात पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अनुसार 4 विभिन्न विषयों पर पैनल परिचर्चा का आयोजन हुआ जिसमें विभिन्न कुलपतियों द्वारा अपने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किये गये। प्रथम सत्र में ‘‘संपन्न एवं टिकाऊ अर्थव्यवस्था’’ विषय पर पैट्रोलियम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राम शर्मा, इक्फाई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामकरण सिंह, जीबी पंत विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं डीन डॉ. के. रावेरकर, एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान की प्रो. नीतू बोरा शर्मा ने प्रतिभाग किया। प्रतिभागियों ने परिचर्चा के दौरान सशक्त जीडीपी, जीडीपी के साथ जीईपी एवं कृषि क्षेत्र का अर्थव्यवस्था में योगदान, महिला सशक्तिकरण से आर्थिक सशक्तिकरण का वर्णन किया। सत्र का संचालन आईएमएस यूनिसन के कुलपति डॉ. रवि के श्रीवास्तव ने किया।
द्वितीय सत्र में ‘‘नवाचार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी’’ विषव पर यूटीयूू के कुलपति डॉ. ओंकार सिंह, आईआईटी रुड़की के डीन प्रो. अक्षय द्विवेदी, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. संजय जसोला, एनआईटी श्रीनगर के डीन डॉ. हरिहरन मुत्थू स्वामी ने प्रतिभाग किया। प्रतिभागियों ने परिचर्चा के दौरान डिजिटल इंडिया, कौशल विकास, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, विश्वविद्यालयों के मध्य टेक्नोलॉजी एवं स्टूडेंट ट्रांसफर आदि पर प्रकाश डाला। सत्र का संचालन डॉ. राम शर्मा ने किया।
तृतीय सत्र में ‘‘दुनिया में भारत’’ विषय पर दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.के. त्रिपाठी, एच.एन.बी. गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. रमेश चन्द्र भट्ट एवं उत्तरांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. धर्मबुद्धि ने प्रतिभाग किया। प्रतिभागियों ने परिचर्चा के दौरान मातृ शक्ति एवं युवा शक्ति का समन्वय, भारत की अविरल संस्कृति, वैश्विक स्तर पर भारत की स्वीकार्यता एवं भारत के जीवंत लोकतंत्र पर प्रकाश डाला। सत्र का संचालन आईआईएम काशीपुर के प्रो. अभ्रदीप मैती ने किया।
चतुर्थ सत्र में ‘‘विकसित भारत@2047 में युवाओं की भूमिका एवं योगदान’’ विषय पर पैट्रोलियम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. सुनील राय, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.विजय धस्माना एवं डीआईटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जी. रघुराम ने प्रतिभाग किया। प्रतिभागियों ने परिचर्चा के दौरान युवा छात्रों को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करने के तरीके, देश की 65 प्रतिशत आबादी की औसत आयु युवा वर्ग के होने के लाभ एवं सभी विश्वविद्यालयों को एकजुट माध्यम से विकसित उत्तराखण्ड एवं विकसित राष्ट्र बनाने के कार्यक्रमों की योजना बनाने पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विधि परामर्शी राज्यपाल अमित कुमार सिरोही, अपर सचिव राज्यपाल स्वाति एस. भदौरिया, वित्त नियंत्रक डॉ. तृप्ति श्रीवास्तव, एचएनबी राजकीय चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेमचंद्र, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.के. जोशी, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश शास्त्री, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ.पी.एस. नेगी, बीर चन्द्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्योगिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल सहित राजकीय और निजी विश्वविद्यालयों के शिक्षकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।