मकर संक्रांति से वसंत ऋतु का आगमन, जानिए कब मनाया जाएगा मकर संक्रांति और इस दिन का क्या महत्व है

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का काफी महत्व है। इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं । मान्यता अनुसार इसी दिन से वसंत ऋतु का भी आगमन होता है। सूर्य देव के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे मकर संक्रांति कहते हैं। इस दिन सूर्य देव की पूजा का भी विशेष महत्व है इस पर्व में स्नान करने व दान का खास महत्व है।
मकर संक्रांति में उड़द के दाल की खिचड़ी,अन्न,तिल, गुड़, ऊनी कपड़े, रूई,कंबल व जूते का दान शुभ माना जाता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है।
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के त्योहार का विशेष महत्व होता है। मकर सक्रांति का त्योहार धार्मिक,ज्योतिषीय और सांस्कृतिक नजरिए से यह पर्व खास होता है। हिंदू धर्म में जहां पर सभी त्योहारों की गणना चंद्रमा की गणना पर तिथियों के अनुसार मनाया जाता है, वहीं मकर संक्रांति का त्योहार सूर्य पर आधारित पंचांग की गणना के आधार पर मनाया जाता है। सौर कैरेंडर के अनुसार हर वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाई जाती है।  हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे। उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है। ऐसे में मकर संक्रांति नए साल में 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्य धनु राशि की यात्रा को विराम देते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस कारण से मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होते हैं। मकर संक्रांति से मौसम में बदलाव शुरू होने लगते हैं। शरद ऋतु जाने लगती है और बसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है।
 ज्योतिषानुसार भगवान श्री कृष्ण ने भी सूर्य के उत्तरायण होने का बहुत महत्व बताया है। इस समय शरीर त्यागने वाले व्यक्ति का पूवर्जन्म नहीं होता है इन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भीष्म पितामह ने भी 58 दिनों तक बाणों की शैय्या पर लेटने के बाद सूर्य के उत्तरायण होने पर ही अपने प्राण त्यागे थे।
सूर्य देव को सभी राशियों का राजा माना जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने का बेहद महत्व है इससे व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं।
इसके साथ ही इस पर्व में पतंग उड़ाने की भी परंपरा है। इसे खिचड़ी का त्यौहार भी कहते हैं और कई जगह इसे पोंगल के रूप में भी मनाया जाता है।

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