उत्तराखंड सरकार द्वारा देवस्थानम बोर्ड भंग करने पर हरिद्वार के संतो में हर्ष की लहर।

DevbumidigitalNews Uttarakhand Haridwar Report News Desk
हरिद्वार  – उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार द्वारा देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने के फैसले के बाद से ही हरिद्वार के साधु-संतों में भी हर्ष का माहौल है जहां साधु संतों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर फैसले का स्वागत किया तो वही संतों का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा देवस्थानम बोर्ड को लेकर लिए गए फैसले के बाद आगामी विधानसभा चुनाव में मोदी सरकार को इसका फायदा मिलेगा।
 प्रदेश सरकार द्वारा गठित हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री द्वारा देवस्थानम बोर्ड को भंग करने के फैसले के बाद धर्मनगरी हरिद्वार के साधु-संतों में हर्ष का माहौल है। संतो ने एक दूसरे को मिठाई खिला कर सरकार द्वारा लिए गए निर्णय का स्वागत किया है।
 इस मौके पर संतो की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पूरी(निरंजनी) ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा देवस्थानम बोर्ड को लेकर लिए गए निर्णय का साधु संत स्वागत करते है और आज केवल साधु संत ही नहीं मठ मंदिरों से जुड़े हर वर्ग के लिए खुशी की बात है उन्होंने कहा कि बोर्ड को भंग करने के निर्णय पर संत समाज मुख्यमंत्री को आशीर्वाद देते है।
 इस अवसर पर निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने कहा कि वह सबसे पहले उत्तराखंड  के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को धन्यवाद ज्ञापित करते हैं और उनका मानना है कि बोर्ड को बंद किए जाने के निर्णय के बाद उत्तराखंड के चार धाम के मंदिरों से जुड़े साधु संतों तीर्थ पुरोहितों एवं हक हकूक धारियों के लिए एक तरह से दीपावली का मौका है जहां प्रदेश सरकार ने पिछले काफी लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया है।
 वहीं इस अवसर पर जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर देवानंद सरस्वती ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उत्तराखंड के साथ लगाव रहा है ऐसे में उनका उत्तराखंड सरकार के अपने मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रिमंडल को आदेश रहा है कि यहाँ के साधु संतों, पंडा समाज, पुरोहितों ओर अन्य समाज को किसी भी प्रकार की दिक्कत ना आये। अगर कोई दिक्कत हो तो जल्द से जल्द समस्या को दूर किया जाए। वे कहते है कि प्रदेश सरकार द्वारा देवस्थानम बोर्ड को भंग करने से वे सभी आनंदित है और वे केंद्र सरकार से मांग करते है कि देश मे जहाँ कही भी मठ मंदिर सरकार के अधीन उनको भी मुक्त करा जाए।

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