जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रोज़मर्रा की चीजें बाजार से लाते लोग।
रामनगर – उत्तराखंड राज्य में कई गांव ऐसे हैं, जहां मूल भूत सुविधाओं का अभाव है।
रामनगर से 20 किलोमीटर दूर एक चुकुम गांव जो की बरसात में इसका संपर्क शहर से कट जाता है यहाँ के लोग तैरकर नदी पार करते हैं और अपनी जरूरत की चीजें बाजार से लाना पड़ता है। और सभी कार्यों के लिए इन्हें गांव से इस नदी मेें डूबते हुए पार कर के ही शहर पहुंचना पड़ता है वैसे तो पूरे वर्ष ही इन्हें इस खतरे से दो-चार होना पड़ता लेकिन बरसात के समय इनका जीवन दाव पर लगा होता है ।
पहाड़ों पर हो रही लगातार भारी बरसात से जहां उत्तराखंड के चारो तरफ पहाड़ से लेकर मैदान तक आफत बरसती है और लोगों का जन जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता तो वही उत्तराखंड के रामनगर जो कि पर्यटन की दृष्टि से काफी अहम है जिसके आसपास जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क है लेकिन रामनगर के गांव रामनगर के एक दर्जन लगभग ऐसे गांव है जिनका संपर्क बारिश में बरसाती नालों और नदियों के कारण शहर से कट जाता है उनमें से एक मुख्य गांव चुकुम गांव है जो कि नदी के दूसरी ओर बसा हुआ है कई दशकों से यहां विस्थापन की मांग कर रहे हैं लेकिन आज तक नहीं हो पाया है
आजाद भारत में किस तरीके से जी रहे हैं यहा के लोग उत्तराखंड बने हुए लगभग 22 वर्ष हो गये लेकिन यहां के रहने वाले स्थानीय लोगों के जीवन कितना कठिन है यह इन तस्वीरों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिरकार उत्तराखंड बने हुए इतना समय तो बीत गया लेकिन उत्तराखंड के गांव आज भी विकास से कोसों दूर है